गली गली मैख़ाने हो गये
कितने लोग दीवाने हो गये।
महक गई न दूध की मूंह से
बच्चे जल्दी सयाने हो गये।
हम प्याला हो गये वो जबसे
रिश्ते सभी बेगाने हो गये।
जाम से जाम टकराने के
हर पल नये बहाने हो गये।
हर ख़ुशी ग़म के मौके पर
छलकते अब पैमाने हो गये।
जबसे बस गये शहर जाकर
अब वो आने जाने हो गये।
एक जगह मन लगे भी कैसे
रहने के कई ठिकाने हो गये।
उन्हें देख डर लगने लगा है
अब वो कितने सयाने हो गये।
बेगाना मुझे गैर बता कर चले गये
वो एक नया शोर मचाकर चले गये।
खुशबु को तरसा करेंगे हम उम्र-ता
गमले में ज़ाफ़रान बुआकर चले गये।
रक्खे थे दर्द हमने छिपाकर कहीं
नुमाइश सबकी लगाकर चले गये।
परिंदा पंखों से बड़ा थका हुआ था
उसको आसमा में उड़कर चले गये।
आहटें करनी लगी हैं दर-बदर मुझे
पुरकशिश ख्वाब दिखाकर चले गये।
सब देखने लगे मुझे बेगाने की तरह
पहचान मेरी मुझसे चुराकर चले गये।
अज़नबी लगने लगा खुद को भी मैं अब
जाने मुझे वो कैसा बनाकर चले गये।
जानते तो हैं मगर वो मानते नहीं
किसी को भी कुछ कभी बांटते नहीं।
ज़िद लिए हैं रेत में वो चांदी बोने की
मिट्टी में दाने मगर वो डालते नहीं।
दरिया पार करते हैं चलके पानी पर
पाँव सख्त जमीन पर उतारते नहीं।
आदी हैं करने को मनमानी अपनी
उंचाई क़द की अपने वो नापते नहीं।
चलने का काम है चले जा रहे हैं हम
बस इससे आगे हम कुछ जानते नहीं।
फूल गई साँसें धक्के दे देकर अपनी
हम किसी की बात मगर टालते नहीं।
चिराग बन कर जलते हैं रात भर
सुबह से पहले बुझना हम जानते नहीं।
लोग मुझे शायर कहने लगे मगर
हम ग़लत फहमी कोई पालते नहीं।
हादसा मुझ से बच कर निकल गया
ग़मज़दा लेकिन वो मुझे कर गया।
वक़्त ने गुजरना था गुज़र ही गया
जाते जाते भी वो कमाल कर गया।
वो भी कमाल था वक़्त का ही कि
मैं किसी के दिल में था उतर गया।
और ये भी कमाल है वक़्त का ही
कि मैं उस ही दिल से उतर गया।
वो रुतबा अपने बढ़ाने के वास्ते
अपना हाथ मेरे सर पर धर गया।
लौटा दी मैंने उसको उसकी अमानतें
मगर मुझे वो दर-ब-दर कर गया।
लब कहीं आरिज़ कहीं गेसू कहीं
मेरा दोस्त मुझे बे क़दर कर गया।
कितने लोग दीवाने हो गये।
महक गई न दूध की मूंह से
बच्चे जल्दी सयाने हो गये।
हम प्याला हो गये वो जबसे
रिश्ते सभी बेगाने हो गये।
जाम से जाम टकराने के
हर पल नये बहाने हो गये।
हर ख़ुशी ग़म के मौके पर
छलकते अब पैमाने हो गये।
जबसे बस गये शहर जाकर
अब वो आने जाने हो गये।
एक जगह मन लगे भी कैसे
रहने के कई ठिकाने हो गये।
उन्हें देख डर लगने लगा है
अब वो कितने सयाने हो गये।
बेगाना मुझे गैर बता कर चले गये
वो एक नया शोर मचाकर चले गये।
खुशबु को तरसा करेंगे हम उम्र-ता
गमले में ज़ाफ़रान बुआकर चले गये।
रक्खे थे दर्द हमने छिपाकर कहीं
नुमाइश सबकी लगाकर चले गये।
परिंदा पंखों से बड़ा थका हुआ था
उसको आसमा में उड़कर चले गये।
आहटें करनी लगी हैं दर-बदर मुझे
पुरकशिश ख्वाब दिखाकर चले गये।
सब देखने लगे मुझे बेगाने की तरह
पहचान मेरी मुझसे चुराकर चले गये।
अज़नबी लगने लगा खुद को भी मैं अब
जाने मुझे वो कैसा बनाकर चले गये।
जानते तो हैं मगर वो मानते नहीं
किसी को भी कुछ कभी बांटते नहीं।
ज़िद लिए हैं रेत में वो चांदी बोने की
मिट्टी में दाने मगर वो डालते नहीं।
दरिया पार करते हैं चलके पानी पर
पाँव सख्त जमीन पर उतारते नहीं।
आदी हैं करने को मनमानी अपनी
उंचाई क़द की अपने वो नापते नहीं।
चलने का काम है चले जा रहे हैं हम
बस इससे आगे हम कुछ जानते नहीं।
फूल गई साँसें धक्के दे देकर अपनी
हम किसी की बात मगर टालते नहीं।
चिराग बन कर जलते हैं रात भर
सुबह से पहले बुझना हम जानते नहीं।
लोग मुझे शायर कहने लगे मगर
हम ग़लत फहमी कोई पालते नहीं।
हादसा मुझ से बच कर निकल गया
ग़मज़दा लेकिन वो मुझे कर गया।
वक़्त ने गुजरना था गुज़र ही गया
जाते जाते भी वो कमाल कर गया।
वो भी कमाल था वक़्त का ही कि
मैं किसी के दिल में था उतर गया।
और ये भी कमाल है वक़्त का ही
कि मैं उस ही दिल से उतर गया।
वो रुतबा अपने बढ़ाने के वास्ते
अपना हाथ मेरे सर पर धर गया।
लौटा दी मैंने उसको उसकी अमानतें
मगर मुझे वो दर-ब-दर कर गया।
लब कहीं आरिज़ कहीं गेसू कहीं
मेरा दोस्त मुझे बे क़दर कर गया।
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