भारतीय विद्यार्थियों की टांगों में इलेक्ट्रॉनिक पट्टे बांध कर अमेरिकी सरकार भारतीय विद्यार्थियों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार कर रही है।
जब से बराक हुसैन ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं तभी से वे और उनकी सरकार लगातार भारत और भारतीयों को किसी न किसी बहाने अपमानित करने के साथ-साथ उनके साथ अमानवीय व्यवहार करती रही है। सबसे पहले ओबामा ने भारत से होने वाली सभी प्रकार की आउटसोर्सिंग को बंद करने की बात कही, उसके बाद ओहियो राज्य ने भारतीय सूचना संस्थानों का एक प्रकार से बहिष्कार कर दिया। तत्पश्चात् अपनी बहुप्रचारित भारत यात्रा के दौरान ओबामा दम्पति द्वारा यहां फूहड़ नृत्य करना तथा पुन: भारतीयों को अमेरिकीओं की नौकरी छीनने वाला देश बताया। अब जिस प्रकार ट्राई वैली विश्वविद्यालय में भारतीय विद्यार्थियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया है, वह अत्यंत निन्दनीय है।
जिन भारतीय छात्रों की टांगों में ये इलेक्ट्रॉनिक पट्टे बांधे गये हैं, उन सभी ने विश्वविद्यालय में दाखिला लेते समय वांछित प्रक्रिया का पूरा पालन किया था। उस प्रक्रिया में अमेरिकी अधिकारियों के द्वारा परीक्षा तथा साक्षात्कार आदि की सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही उन्हें विद्यार्थी वीजा प्रदान किया गया था। इसलिए जब विश्वविद्यालय ने अमेरिकी आव्रजन सेवा अधिकारियों के समक्ष इन विद्यार्थियों के वीजा हेतु जरूरी अन्य दस्तावेज प्राप्त करने के उद्देश्य से उनके दस्तावेज प्रस्तुत किये तो आज सवाल उठाने वाले ये अमेरिकी अधिकारी उस समय कहां थे?
इसी प्रकार अमेरिकी विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये और अमेरिकी आव्रजन अधिकारियों द्वारा सत्यापित दस्तावेज लेकर जब ये छात्र भारत स्थित अमेरिकी दूतावास गये थे तो भारतीय दूतावास ने विश्वविद्यालय की सत्यता और उन दस्तावेजों की प्रामाणिकता की उस समय जांच क्यों नहीं की? इसके बाद जब उन छात्रों ने विश्वविद्यालय में कुछ सेमेस्टर पास किये और मेडिकल बीमे तथा अन्य सेवाओं हेतु आवश्यक राशि का भुगतान किया तो उस समय अमेरिकी अधिकारी कहां थे? इसलिए अब इन भारतीय विद्यार्थियों पर क्यों आरोप लगाया जा रहा है?
ये छात्र तो वास्तव में अमेरिका स्थित अमेरिकी अधिाकारियों की मिलीभगत से ट्राई वैली यूनिवर्सिटी द्वारा की गयी धाोखाधाड़ी के शिकार हुए हैं। दोषी विश्वविद्यालय तथा अपने अधिकारियों की टांगों में ये अपमानजनक पट्टे बांधने की बजाए इन निर्दोष भारतीय विद्यार्थियों की टांगों में पट्टे बांधना पूरी तरह अन्याय और भारतीय विद्यार्थियों के मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है।
मेरी भारतीय अभिभावकों और विद्यार्थियों से अपील है कि वे विदेशों में पढ़ने का मोह छोडकर भारत स्थित अच्छे शिक्षा संस्थानों में दाखिला लेकर पढ़ाई करने का प्रयास करें। अमेरिकी विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालयों की अपेक्षा बहुत अधिक फीस वसूल करते हैं। इन विद्यार्थियों से ज्यादा फीस लेकर वे वास्तव में अपने अमेरिकी विद्यार्थियों को सस्ती शिक्षा प्रदान करते हैं। भारत सदैव ही बेहतरीन शिक्षा एवं संस्कृति का केन्द्र रहा है। इसलिए भारतीय विद्यार्थियों द्वारा खोखले अमेरिकी स्वप्न देखना उनके स्वयं के लिए ही खतरनाक सिध्द हो रहा है। खासतौर से अमेरिका द्वारा किये इस प्रकार के घिनौने मानवाधिकारों के उल्लंघन के मद्देनजर और अमेरिका की धवस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था को देखते हुए इस बात पर गौर करना जरूरी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को हिन्दू विद्यार्थियों के साथ किये गये इस अमानवीय व्यवहार के लिए तुरन्त मॉफी मांगनी चाहिए तथा उनकी टांगों में बांधे गये इलेक्ट्रॉनिक पट्टों को अविलम्ब हटाया जाए।
इसी के साथ सभी प्रभावित भारतीय विद्यार्थियों को अमेरिका के अन्य अधिकृत विश्वविद्यालयों में दाखिला दिलवाना चाहिए। यदि अमेरिकी सरकार ऐसा करने में असफल रहती है तो विश्व हिन्दू परिषद लोकतांत्रिक तरीके से सभी भारतीयों का आह्वान करेगी कि वे तुरन्त अमेरिकी कंपनियों के बनाये गये उत्पादों का बहिष्कार करना आरम्भ करें।
ऐसे अमेरिकी उत्पादों में शमिल हैं-कॉलगेट टूथपेस्ट, हेड एंड शॉल्डकर शेंपू, ऐरियल एंड टाइड डिटर्जेंट, विस्पर एंड स्टे प्रफी सेनिटरी नेपकिन्स, जॉनसन्स एंड जॉनसन्स बेबी प्रोडेक्टस तथा मेडिकल प्रोडेक्टस, फिजर फार्मा द्वारा बनायी गयी दवाइयां, कोका कोला, केलॉग्स, पेप्सी, जनरल मोटर्स एंड फॉर्ड वाहन, कॉम्पैक, एप्पल, आईबीएम एंड डेल कम्प्यूटर्स, माइक्रोसाफ्ट, बोइंग, डॉमिनॉस एंड पिज्जा हट पिज्जा, स्टारबक्स कॉफी, केएफसी, मॉनसेंटो और दूसरे अनेक उपभोक्ता उत्पाद।
- लेखक ख्यातलब्ध कैंसर सर्जन और विहिप के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री हैं।
उत्तम प्रस्तुति...
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