भ्रष्ट राजनीति वाले बार बार बाबा रामदेव पर यह आरोप लगा रहे हैं कि वे एक योगी हैं तब वे राजनीति में क्यों आ रहे हैं? वे और अनेक विद्वान यह मानते हैं कि योगियों का राजनीति में आना गलत है। वे यह मानकर बैठे हैं कि योगी के आने से राजनीति धर्म निरपेक्ष नहीं रहेगी। योगी का धर्म में गहरा विश्वास क्या उसे राजनीति में प्रवेश के लिये अयोग्य बना देता है ? क्या धर्म में गहरा विश्वास व्यक्ति को राजनीति में धर्म निरपेक्ष व्यवहार नहीं करने देगा ? अर्थात जो भी व्यक्ति राजनीति में हैं उनका धर्म में गहरा विश्वास नहीं है? इस तरह की कुतर्की बातें कर जनता को भ्रमित किया जा रहा है। एक दल के राजनीतिज्ञ और अधिकांश माध्यम वाले बाबा पर यह प्रश्न एक प्रक्षेपास्त्र की तरह फ़ेक रहे हैं।
बाबा रामदेव भी जैसे दूध का जला छाँछ को भी फ़ूक फ़ूक कर पीता है, उत्तर देते हैं कि वे राजनीति में प्रवेश नहीं कर रहे हैं वरन भ्रष्ट राजनीति में हस्तक्षेप कर उसे साफ़ सुथरा करना चाहते हैं ताकि यह राष्ट्र सम्मान से प्रगति कर सके । व्यक्तिगत रूप से बाबा चाहे राजनीति में न आना चाहें, किन्तु सिद्धान्तन उऩ्हें यह प्रश्न करना चाहिये कि एक योगी राजनीति में क्यों नहीं आ सकता!!
यदि हम थोड़ा ध्यान से सोचें तब यह तो स्पष्ट हो जाएगा कि एक राजनीतिज्ञ को अन्दर बाहर दोनें से साफ़ रहना चाहिये, अर्थात उसका चरित्र उज्वल होना चाहिये, उसे राष्ट्र की सेवा बिलकुल निस्वार्थ होकर करना चाहिये। उसे राष्ट्र की, गरीबों की उन्नति बिना उनके रंग, धर्म या जाति को महत्व देते हुए उऩ्हें मनुष्य समझते हुए करना चाहिये।
यदि हम थोड़ा और ध्यान से सोचें तब पाएंगे कि योगी में यह सब गुण होते हैं।
आज देश को भ्रष्टाचार के दलदल में फ़ँसी राजनीति को उबारने के लिये यह वांछनीय है कि योगी या योगी के समान चरित्रवान व्यक्ति राजनीति में आएं।
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