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Manish Pathak M. Sc. in Mathematics and Computing (IIT GUWAHATI) B. Sc. in Math Hons. Langat Singh College /B. R. A. Bihar University Muzaffarpur in Bihar The companies/Organisations in which I was worked earlier are listed below: 1. FIITJEE LTD, Mumbai 2. INNODATA, Noida 3. S CHAND TECHNOLOGY(SCTPL), Noida 4. MIND SHAPERS TECHNOLOGY (CLASSTEACHAR LEARNING SYSTEM), New Delhi 5. EXL SERVICES, Noida 6. MANAGEMENT DEVELOPMENT INSTITUTE, GURUGRAM 7. iLex Media Solutions, Noida 8. iEnergizer, Noida I am residing in Mira Road near Mumbai. Contact numbers To call or ask any doubts in Maths through whatsapp at 9967858681 email: pathakjee@gmail.com

Sunday, January 16, 2011

व्यंग्य/महंगाई डायन के नाम एक खुला खत-गिरीश पंकज

जन-जन जिसके नाम से खौफ खाता है। जिसका नाम सुनते ही भयंकर ठंडी में भी पसीना आ जाता है, ऐसी हे महंगाई डायन, तुमको तो दूर से ही प्रणाम। हमने सुना है, कि डायन कम से कम एक घर तो छोड़ ही देती है। तुमसे करबद्ध प्रार्थना है कि तुम इस देश को एक घर मान कर यह देश ही छोड़ दो और विदेश में किसी सम्पन्न राष्ट्र में जा कर अपना डायनत्व दिखाओ। चीन ही चले जाओ न । वह काफी ऐश में है। खूब कैश है, सम्पन्नता है उसके पास। तुम वहाँ जा कर अपनी कैबरे-कला का प्रदर्शन करो। या अमरीका भी जा सकती हो। कहीं भी जाओ लेकिन हमारी जान छोड़ दो। हम समझ सकते हैं, कि तुम्हारी यहाँ के नेताओं, अफसरों, व्यापारियों और कालाबाजारियों से जबर्दस्त सेटिंग चल रही है। बड़ा याराना चल रहा है। इस कारण तुम्हारी और धनपशुओं की बल्ले-बल्ले है। हर जगह तुम्हारा नाम है और हमारा काम तमाम है। सेठ लोग तुम्हारी आरती उतार रहे हैं। जै-जै कार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी उतनी सुर्खियों में नहीं रहते, जितनी कि तुम रहती हो। सुबह और शाम, बस तुम्हारा ही नाम है। लेकिन इस देश के गरीब अंगने में तुम्हारा क्या काम है? हे प्राणखादेश्वरी, पेट्राल-डीजल वालों को तुमने आपने कुछ ज्यादा ही प्यार दिया। रह-रह कर उनका घर भरती रहती हो। जब मन में आए, वे लोग पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा देते हैं। बस इनके भाव बढ़े और दूसरी चीजों के भाव भी बढऩे लगते हैं। देश की दु:खी जनता आपसे अनुरोध करती है, कि इन पेट्रालियम वालों के दिमाग को तनिक फेर दो ताकि ये कीमतें घटा दें। व्यापारियों की साजिश समझ। मौका भर मिलना चाहिए कीमतें बढ़ाने का। ये धनपिपासु कीमतें घटाएँगे तभी तो दूसरी बहुत-सी चीजों के भाव भी घटते चले जाएंगे। पेट्राल की कीमत बढ़ गई है, इसकी आड़ में कीमतें दो-चार गुना बढ़ा दी जाती हैं। घर से आदमी तेजी के साथ निकलता है कि महँगाई न बढ़े पर हद है तेरी गति, आदमी बाजार पहुँच भी नहीं पाता कि तू पहले से धमक जाती है। तू मुसकराते हुए गाती है, ‘अजी हमसे बचकर कहाँ जाइगा,जहाँ जाइगा, हमें पाइएगा’।
हे रहस्यलोक की विश्व सुंदरी, हम लोगों के दर्द को तुझसे बेहतर भला और कौन समझ सकता है। सरकार भी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए। हर कोई सरकार को कोस रहा है। नेताओं को गरिया रहा है। बेचारे अपना मुँह छिपाए फिर रहे हैं। ये घोटालेवीर चैन से घोटाले भी नहीं कर पा रहे हैं। जब देखो जनता महंगाई-महंगाई चिल्लाती रहती है। कुरसी का जीना हराम हो गया है। इसलिए वह भी तुझे कोस रही है। हे सुमुखी, (पाठको, ऐसा कहना पड़ता है वरना और अधिक नाराज हो गई तो दिक्कत में भी परेशानी वाली बात हो जाएगी…) तेरे कारण समाज में अब वर्गभेद पनपने लगा है। लोग अपनी अमीरी का खुले आम प्रदर्शन करके दूसरे को जला रहे हैं। लोग प्याज खरीदते हैं और उसे अपने पारदर्शी झोले में रख कर लाते हैं। पहले मोहल्ले में दो-तीन चक्कर लगाते हैं फिर घर के भीतर प्रवेश करते हैं ताकि वे रौब गाँठ सकें कि देखो, इस कमरतोड़ महंगाई के दौर में भी हम प्याज खा रहे हैं। रोज प्याज खरीदने वाले की सामाजिक हैसियत बढ़ गई है। लोग समझ जाते हैं, कि अगले के पास कोई गढ़ा खजाना हाथ लगा है, तभी तो प्याज खरीदता रहता है। लोग एक-दूसरे का जलाने-कुढ़ाने का काम करने लगे हैं और यह सब तेरे कारण हो रहा है।
हे बदनउघारू हीरोइन की सगी बहन और महान विषकन्या, हम समझ रहे हैं, कि तू किनके इशारे पर खेल कर रही है। उन लोगों सेभी इस देश की जनता निपटेगी, मगर उसके लिए अभी समय नहीं आया है। राजनीति कलमुँही ऐसा ही करती है। जब आम चुनाव से बहुत दूर रहती है तब जनता की छाती पर सवार हो जाती है। तरह-तरह के अत्याचार करती है। तेरे साथ रोमांस जारी रहता है। यानी महंगाई बढ़ती है तो बढऩे दो। पुलिस अत्याचार होता है तो होने दो। घोटाले होते रहते हैं। सकल करम होते हैं। लेकिन जैसे ही चुनाव की पावन बेला आती है, लोकलुभावन नारे सामने आने लगते हैं। महंगाई कम होने लगती है। तू जालिम कहीं जा कर छिप जाती है। इस कुरसी और तेरे खेल बड़े निराले हैं। ये सब खेल चलते रहेंगे, मगर तुझसे गुजारिश है कि हम पर रहम कर, बहुत हो गया। अब तो कहीं और जा कर मुँह काला कर। हमारी बात का बुरा मत मान। जब दिल दुखी रहता है तो जीभ बहकने लगती है।अगर हमने तुझे ऐसा-वैसा कुछ कह दिया है तो तू नाराज होकर और निर्वसन नृत्य करने लगना। तू अब पलायन कर जा। वरना इस देश में लूट-पाट की नौबत आ जायेगी। चोर लोग प्याज की बोरियाँ चुराने लगे हैं। दहेज में प्याज का ट्रक माँगा जा रहा है। तो हे महँगाई माई, तुझे डायन कहना ठीक नहीं, इसलिए हे महंगाईदेवी तुझसे करबद्ध प्रार्थना है कि अब तू किसी पतली गली से निकल और हमें चैन से जीने-खाने दे। एक घर छोड़ दे, तू ये देश छोड़ दे। एक बार तो हमारा कहा मान ले।

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