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Manish Pathak M. Sc. in Mathematics and Computing (IIT GUWAHATI) B. Sc. in Math Hons. Langat Singh College /B. R. A. Bihar University Muzaffarpur in Bihar The companies/Organisations in which I was worked earlier are listed below: 1. FIITJEE LTD, Mumbai 2. INNODATA, Noida 3. S CHAND TECHNOLOGY(SCTPL), Noida 4. MIND SHAPERS TECHNOLOGY (CLASSTEACHAR LEARNING SYSTEM), New Delhi 5. EXL SERVICES, Noida 6. MANAGEMENT DEVELOPMENT INSTITUTE, GURUGRAM 7. iLex Media Solutions, Noida 8. iEnergizer, Noida I am residing in Mira Road near Mumbai. Contact numbers To call or ask any doubts in Maths through whatsapp at 9967858681 email: pathakjee@gmail.com

Friday, January 21, 2011

काफ़ी कैट (मार्जार काफ़ी) नखरों की‌ हद्द नहीं-विश्व मोहन तिवारी

नखरों की‌ हद्द नहीं
जब मैने पढ़ा कि दिल्ली में ही एक विदेशी कम्पनी की काफ़ी की दूकान में एक प्याला काफ़ी‌ दो या ढाई सौ रुपये का मिलता है वह कीमत की ऊँचाई आज के विदेशी भक्त्तों की श्रद्धा के बावजूद समझ में नहीं आ रही थी।
'डाउन टु अर्थ' में पढ़ा कि एक जंगली मार्जार ( सिवैट – जंगली बिल्ली) जब काफ़ी के गूदेदार फ़ल खाकर उसके बीज अपने गू (मल) में त्याग देता या देती है, तब जो उस बीज की‌ काफ़ी बनती‌ है, उसकी महिमा अपरम्पार है। यह माना जाता (प्रचारित किया जाता है) है कि एशियाई ताड़ -मार्जार की अँतड़ियों के आवास में से होकर जब वह बीज निकलता है तब उसमें दिव्य गंध का वास हो जाता है, यद्यपि इस प्रक्रिया का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। ऐसा माना जाता है कि मार्जार की अँतड़ियों में आवासीय एन्ज़ाइम इसके कड़ुएपन को कम करते हैं और सुगंध को बढ़ाते हैं।
भारत में‌ इस तरह की काफ़ी के अकेले उत्पादक (?) सत्तर वर्षीय टी एस गणेश कहते हैं कि उऩ्हें इस काफ़ी और सामान्य दक्षिण भारतीय काफ़ी के स्वाद या सुगंध में कोई अंतर नहीं मालूम होता।
यह काफ़ी तथा कथित 'वैश्विक ग्राम' के खुले बाजार में ३०, ००० रुपए प्रति किग्रा. बिकती‌है !! विश्व् मे ( दक्षिण एशिया में) इसका कुल उत्पादन मात्र २०० किग्रा. प्रतिवर्ष है। और मजे की‌ बात यह है कि यद्यपि विश्व में इसके बीज का उत्पादन ( जंगल में खोजकर बटोरना) बहुत कम होता है, विदेशी‌ कम्पनियां टी एस गणेश के 'मार्जार काफ़ी' बीजों को खरीदने के लिये तैयार नहीं हैं, यद्यपि उऩ्होंने उन बीजों की प्रशंसा ही की है - यह हमारे विदेशी भक्ति का प्रतिदान है। यदि उऩ्हें यहां के बीजों की गुणवत्ता पर संदेह है तब क्या उनके सुगंध विशेषज्ञ इसे परख नहीं सकते !
टी एस गणेश तो उस दिव्य काफ़ी के बीज लगभग सामान्य काफ़ी बीजों की तरह ही मात्र २५० रु. किलो ही बेचते हैं, क्योंकि भारत में इसकी माँग नहीं‌ है। किन्तु हमारी विदेश भक्ति देखिये कि यद्यपि विदेशी कम्पनी हम से खरीदने को तैयार नहीं हैं, हम दो या ढाई सौ रु. में इस विदेशी काफ़ी का एक प्याला पीने को तैयार हैं, हमारा आखिर 'काफ़ी कैट' (कापी कैट) होना तो एक महान गुण है ही।

Source: http://www.hindi.kalkion.com/news/393?utm_source=feedburner&utm_medium=email&utm_campaign=Feed%3A+kalkion%2Fhindi+%28Kalkion+Hindi+%29

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